फल फॉर्म, अर्थशास्त्री (अर्थशास्त्रियों) इस बात की उम्मीद लगा रहे हैं कि RBI फरवरी में एक बार फिर नीतिगत ब्याज दरों (नीतिगत दरों) में कटौती करेगा। नोमुरा के एक एनलिस्ट का कहना है कि हमारा अनुमान है कि 5 दिसंबर को होने वाली बैठक में आबी मुद्रास्फिति को देखते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।
हालांकि, निगेटिव आइटम गैप की वजह से मुद्रास्फिति मध्यम स्तर पर आ सकता है। ऐसे में हम फरवरी की बैठक में नीतिगत ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद कर सकते हैं।
वर्तमान में रेपो रेट 4 प्रति पर है। ऐसे में फरवरी में यदि 50 आधार अंक की कटौती होती है तो यह 3.5 प्रति के स्तर पर आ जाएगा। लेकिन, एक बात यह भी ध्यान देने की होगी कि अगर मुख्य खपत पटरी पर नहीं लौटता है तो मौद्रिक नीतियों में ढील की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
फ्लिप महंगाई दर में इजाफे का अर्थ क्या है?
फ्लिप महंगाई दर में इजाफे का मतलब है कि पैसे बचाने से लेकर खर्च करने वाले, सभी को परेशानी होगी। अर्थशास्त्रियों ने पहले ही चेतावनी दी है कि बचत करने वाले लोगों के लिए ब्याज दर में मदद साबित नहीं हो रही है। मौजूदा महामारी में उन्हे नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सतर्कता बरतते हुए लोग अब हाउसहोल्ड सेविंग्स का उपाय कर रहे हैं। अप्रैल-जुलाई तिमाही में यह 21.6 प्रतिशत बढ़ा है।
नवंबर बुलेटिन में केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था में रिकवरी के लिहाज से मुद्रास्फिति को एक विकट जोखिम करार दिया है। बुलेटिन में लिखा गया, ‘कीमतों में दबाव का सामान्यीकरण एक गंभीर पैदा कर सकता है। मुद्रास्फिति को अधिक नहीं होने का अनुमान नीतिगत हस्तक्षेपों की विश्वसनीयता के लिए ठीक नहीं होगा। इसका असर ग्राउंडथ पर भी नजर आता है