पुस्तक की लेखिका एवं अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं। पुस्तक दंगों के षड्यंत्रकारियों को आईना दिखाती है। इसमें सिर्फ हिंदू की ही नहीं पीड़ित मुसलमानों की कहानी भी है। यह पुस्तक पूरे तथ्यों के साथ लिखी गई है। इस मौके पर पुस्तक की दो अन्य लेखिकाएं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सोनाली व प्रोफेसर प्रेरणा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। नुपुर शर्मा, लेखक विवेक अग्निहोत्री, टीसी डोगरा आदि ने भी पुस्तक पर अपने विचार साझा किए।
सीएए विरोधी हिंसा की स्वतंत्र जांच जरूरी, : भाजपा
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