तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की सालाना महासभा को संबोधित करते हुए जिस तरह से कश्मीर के मुद्दे को हवा दी है उससे भारत के साथ उसके द्विपक्षीय रिश्ते को बड़ा झटका लगना तय है। भारत ने वैसे तो आधिकारिक तौर पर एर्दोगन के बयान को खारिज कर दिया है और उसे साफ तौर पर अपने घरेलू मुद्दों पर ध्यान देने की सलाह दे डाली है लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं रहेगी। कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने के मुद्दे पर तुर्की लगातार पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रहा है। ऐसे में भारत, तुर्की के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्ते की पूरी तरह से समीक्षा करने को बाध्य हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टी एस त्रिमूर्ति ने कहा है कि, ‘तुर्की के राष्ट्रपति का भाषण भारत के आंतरिक मामलों का घोर उल्लंघन है। तुर्की को दूसरे देशों की संप्रभुता का आदर करना चाहिए और इस संबंध में अपनी नीति पर विचार करना चाहिए।’